फतेहपुर, शमशाद खान । मुख्यालय रेलवे स्टेशन में अक्सर यात्री गाडी एवं मालगाडी की चपेट में आने से जहा यात्री चुटहिल होते रहते है वही कुछ को अपनी जान से भी हाथ धोना पडता है। इसके बावजूद भी यात्रियो में जागरूकता नही आ रही है। एक प्लेटफार्म से दूसरे प्लेटफार्म पर आने जाने के लिये रेलवे ट्रैक से ऊपर से सेतु बना हुआ है लेकिन जल्दबाजी के चक्कर में यात्री इस सेतु का इस्तेमाल न कर रेलवे ट्रैक पार करके अपनी जिन्दगी को खतरे में डालते रहते है। जिस तरह से यात्री बेधडक होकर रेलवे ट्रैक पार करते है उससे लगता है कि जिन्दगी और मौत का समय निर्धारित है जिसकी जितनी जिन्दगी है वह उतने समय तक जीवित रहेगा। और जिस समय जहा पर उसकी मौत लिखी है उसे कोई टाल नही सकता साथ ही यह भी कहा जाता है कि जिन्दगी और मौत के निर्धारित समय का यह मतलब नही कि लोग अपने से जाकर रेल की पटरी पर सिर रख दे और कह दिया जाये की उसकी मौत लिखी थी ईश्वर ने जिन्दगी और मौत का समय निर्धारित करने के साथ-साथ इन्सान को सोचने और समझने के लिये दिमाग दिया है। जिसका इस्तेमाल करना भी जरूरी है लेकिन आज इस भागमभाग जिन्दगी में किसी को शायद अपने बारे में सोचने का भी समय नही है तभी तो लोग आधी और तूफान की तरह समय के साथ भागने के लिये बेकरार है यह बेकरारी कभी भी किसी भी समय मुख्यालय रेलवे स्टेशन पर देखी जा सकती है जहा यात्री जल्दबाजी के चक्कर में रेलवे ट्रैक को पार कर एक प्लेटफार्म से दूसरे प्लेटफार्म पर आते जाते रहते है जबकि यात्रियो की सुरक्षा की दृष्टि से प्लेटफार्म पार आने जाने के लिये स्टेशन के अन्दर रेलवे ट्रैक के ऊपर से सेतु बना हुआ है लेकिन इस सेतु का इस्तेमाल यात्री न के बराबर करते है या फिर कहा जाये की सेतु का प्रयोग ही नही हो रहा है तो शायद गलत न होगा। क्योकि आये दिन रेलवे स्टेशन से गुजरने वाली यात्री एवं मालगाडियो की चपेट में आकर न जाने कितने यात्री चुटहिल होते रहते है वही इस लापरवाही के चलते कुछ यात्रियों को अपनी जान भी गवानी पडती है। परन्तु इन घटनाओ के बावजूद यात्रियो में जागरूकता देखने को नही मिलती है क्योकि सुबह से लेकर शाम तक हजारो यात्री रेलवे ट्रैक से ही गुजर कर एक प्लेटफार्म से दूसरे प्लेटफार्म पर आते जाते है इससे कुछ हद तक जीआरपी की लापरवाही भी शामिल है यदि जीआरपी कोशिश करे तो यात्रियो की इस मनमानी पर जहा अकुश लगाया जा सकता है वही स्टेशन पर होने वाली दुर्घटनाओ मे कमी भी लायी जा सकती है परन्तु जीआरपी भी यात्रियो की इस मनमानी की तरफ से शायद मुह मोडे हुये है तभी बिना डर और खौफ के यात्रियो का हुजूम रेलवे ट्रैक पार करता हुआ देखने को मिलता है।
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