कानपुर नगर, हरिओम गुप्ता - पासपोर्ट की जांच को लेकर जो एलआईयू द्वारा बडा खेल खेला जा रहा है वह कुछ समय पहले सामाचारपत्रों में छपा था और उसके बाद तत्कालीन अधिकारी द्वारा सख्ती भी बरती गयी थी लेकिन वर्तमान में एक बार फिर एलआईयू कर्मी पासपोर्ट बनवाने के नाम पर आवेदको के दरवाजे पहुंच रहे है और मोटी वसूली कर रहे है।
बतातें चले कि पासपोर्ट बनवाने की जांच सिर्फ थाना स्तर तक ही रह गयी है तथा थाने की संस्तुति के बाद एलआईयू कार्यालय में इस रिर्पोट पर केवल ठप्पा मात्र ही लगता है। पूरे शहर के सैकडो आवेदन लोगों द्वारा पासपोर्ट के लिए किए जाते है और इन आवेदकों के घर पर जांच के नाम पर वसूली के लिए एलआईयू कर्मी पहुंच रहे है। पूर्व में पासपोर्ट जांच के लिए थाना व एलआइयू स्तर से अलग अलग जांच होती थी, जिसमे काफी समय लग जाता था और आवेदनकर्ता को भी परेशानी का सामना करना पडता था। इसको देखते हुए शासनादेश के अनुसार आवेदन की स्थनीय अभिसूचना इकाई(एलआईयू) आवेदक के घर जाकर अब जांच नही करेगे, जिसकी अनिवार्यता समाप्त कर दी गयी और थाना स्तर की जांच को मान्य माना जाने लगा, अब केवल एलआईयू कार्यालय से खानापूति हेतु केवल ठप्पा मात्र लगाया जाता है लेकिन अभी भी एलआईयू द्वारा पोसपोर्ट की फर्जी जांच का खेल किया जा रहा है। पूर्व में खबर छपने के बाद विभाग में खलबली मच गयी थी लेकिन फिर सामान्य हो गया। बता दे कि थाना स्तर की जांच के बाद पासपोर्ट आवेदन फार्म एसपी कार्यालय स्थित पाक सेक्शन में आते है, जहां इन आवेदन फार्मो को क्लीयर कर ठप्पा लगाया जाता है लेकिन यहां एर्लआयू के बीट प्रभारी व कर्मचारी आवेदन की फोटो काॅपी ले लेते है और एलआईयू जांच के नाम पर आवेदकों के घर पहुंच जाते है तो फर्जी है। शहर भर से पासपोर्ट के लिए आवेदन होते है लेकिन कुछ खास बीट पर इन एलआईयू कर्मियों की पौव्वारा होती है, जिसमें कैंट, बाबूपुरवा, गोविन्द नगर, कल्यानपुर सहित कुछ अन्य इलाके भी आते है। फर्जी जांच का मकसद केवल अवैध धनवसूली होता है। सूत्रों की माने तो जांच के नाम पर एलआईयू कर्मी प्रति आवेदनकर्ता से जांच के नाम पर 500रू0 से 2हजार रू0 तक वसूल कर लेते है वहीं अधिकांश आवेदकों को एलआईयू जांच समाप्त हो जाने की जानकारी नही है। आवेदक एलआईयू के नाम पर हो रही जांच को सत्य मानलेते है और घर आये एलआईयूकर्मी आवेदको से पैसा वसूली कर रहे है। ऐसा नही कि यह केवल एलआईयू कर्मी कर रहे है बल्कि सारा खेल विभाग के जिम्मेदारों की देख-रेख में हो रहा है और फर्जी जांच से वूसले गये रू0 का कुछ हिस्सा उनके पास भी पहंुच रहा है। अब ऐसे में मार आवेदक पर ही पड रही है लेकिन विभाग द्वारा पहले भी ठोस कार्यवाही नही हुई और अब भी नही हो रही और पूरा खेल सेटिंग से चल रहा है।
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