दो विनियमित क्षेत्रों में महत्वपूर्ण पद पर आसीन
मंडलायुक्त मेरठ की जांच में ठहराया गया था दोषी
बिजनौर, संजय सक्सेना। पूर्व तैनाती के दौरान शासन को लाखों रुपए की क्षति पहुंचाने का आरोपी जेई ठाठ से बिजनौर में नौकरी कर रहे हैं। यही नहीं उन पर दायित्व भी विनियमित क्षेत्र जैसे महत्वपूर्ण विभाग का है।
उक्त जेई के मुजफ्फरनगर विकास प्राधिकरण में तैनाती के दौरान किये गये कारनामों की जांच कमिश्रर मेरठ द्वारा की गई। तीन बिंदुओं पर हुई इस जांच में जेई को दोषी ठहराया गया है। विनियमित क्षेत्र के जेई विपिन कुमार गुप्ता पूर्व में मुजफ्फरनगर विकास प्राधिकरण में कार्यरत थे। तैनाती के दौरान उन्होंने कई कार्य नियमों को ताक पर रख कर किये । शिकायत पर उत्तर प्रदेश शासन, आवास एवं शहरी नियोजन अनुभाग-५, लखनऊ ने २४ सितम्बर २००७ को मामले की जांच के लिये तत्कालीन मण्डलायुक्त मेरठ अनुराग श्रीवास्तव को जांच अधिकारी नियुक्त किया था। तीन बिंदुओं पर जांच में विपिन कुमार गुप्ता को दोषी पाया गया। ११ नवंबर २०१० को प्रेषित जांच रिपोर्ट के अनुसार यदि कार्रवाई की गई होती तो श्री गुप्ता को कहीं तैनाती मिलना संभव नहीं था।
आरोप संख्या-१: मुजफ्फरनगर शहर के महावीर चौक पर हाईमास्ट लाइट लगाने के लिये न्यूनतम कुटेशनदाता के स्थान पर पूर्व में स्वीकत दर के आधार पर मेसर्स सेवक इलेक्ट्रिक वक्र्स से ०३,३५,७५० रुपए के कार्य की संस्तुति २२ अक्टूबर १९९९ को की गई। कमिश्रर की जांच में पाया गया कि इस कार्य हेतु न तो निविदा आमंत्रित की गई और न ही किसी समाचार पत्र में प्रकाशन कराया गया।
आरोप संख्या-२: जेई विपिन कुमार गुप्ता ने रुडक़ी रोड, शामली रोड तथा कमला नेहरु वाटिका में ०१,१२,९६१ रुपए का विद्युत कार्य बिना निविदा स्वीकृत किया। यहां पर कुल ६७ पोल की केबिल, टाईमर व मेन स्विच आदि की मरम्मत का कार्य कराया और भुगतान मेसर्स अग्रवाल इलेक्ट्रिक वक्र्स को किया गया। आरोप संख्या-३: विभिन्न स्थानों पर आंधी (प्राकृतिक प्रकोप)के कारण गिरे बिजली के खम्भों के स्थान पर नये लगाने और टूटे खभों के स्थान पर नये लगाने का कार्य सेवक इलेक्ट्रिक स्टोर गोपेश्वर चमोली से कराया गया। इसके लिये ३,९३,०७१ रुपए के प्रस्तावित कार्य तथा अन्य कार्यों के लिये विचलन करते हुए कुल धनराशि रुपए ७,५१,९०४.७३ का भुगतान कराया गया।
जांच अधिकारी का निष्कर्ष:
बिजनौर: जांच अधिकारी/आयुक्त मेरठ मंडल अनुराग श्रीवास्तव के अनुसार विपिन कुमार गुप्ता ने नियमानुसार कार्रवाई न कर गंभीर अनियमितताएं बरतीं, जो उनकी पारदर्शिता एवं सत्यनिष्ठा को प्रभावित करता है। नियमानुसार २० हजार रुपए से ऊपर के कार्य हेतु निविदा आमंत्रित की जानी चाहिए। इनके द्वारा संबंधित ठेकेदार से दुरभिसंधि करके प्रस्तावित कार्य कराया गया और बिना कार्य के सत्यापन के भुगतान की कार्यवाही कर गंभीर अनियमितता बरती गई है। जांच अधिकारी/आयुक्त मेरठ मंडल अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि अपचारी अधिकारी का उक्त कृत्य पारदर्शिता तथा उनकी कार्य के प्रति सत्यनिष्ठा को प्रभावित करता है। जांच अधिकारी ने लिखा कि उक्त विवेचना के आधार पर अपचारी अधिकारी पर लगाए गए तीनों आरोप पूर्णत: सिद्ध होते हैं।
नगीना में तामील हुआ आरोप पत्र
बिजनौर: ०८ मई २००९ को मेरठ के अपर आयुक्त (प्रशासन) रमेश चन्दानी ने जिलाधिकारी जनौर को पत्र लिख कर अवगत कराया था कि विपिन कुमार गुप्ता तत्कालीन अवर अभियंता मुजफ्फरनगर विकास प्राधिकरण के विरुद्ध विभागीय कार्यवाही में जांच मंडलायुक्त द्वारा की जा रही है। श्री गुप्ता विनियमित क्षेत्र देवबंद में कार्यरत थे, जिलाधिकारी सहारनपुर ने अवगत कराया है कि श्री गुप्ता का स्थानांतरण जनपद बिजनौर की तहसील नगीना में हो चुका है। अत: श्री गुप्ता के विरुद्ध आरोप पत्र की दो प्रतियां इस आशय से भेजी जा रही हैं कि आरोप पत्र की एक प्रति श्री गुप्ता को तामील करा कर, तामील की गई एक प्रति उनके कार्यालय को भिजवाने का कष्ट करें। इस पर तत्कालीन जिलाधिकारी ने १५ मई २००९ को एसडीएम नगीना को आवश्यक कार्यवाही के निर्देश दिये थे। वहीं उत्तर प्रदेश शासन, आवास एवं शहरी नियोजन अनुभाग-५, लखनऊ के संयुक्त सचिव एपी तिवारी ने १३ जनवरी २०११ को शासकीय पत्र भेज कर विपिन कुमार गुप्ता से १५ दिन के भीतर उनका अभयावेदन मांगा था।
…अब भी बाज न आए
बिजनौर: वर्तमान में जेई विपिन कुमार गुप्ता पर विनियमित क्षेत्र जैसे महत्वपूर्ण विभाग का कार्यभार है। आरोप है कि कई स्थानों पर ग्रीन बेल्ट क्षेत्र में अवैध निर्माण हो चुके हैं और धड़ल्ले से हो रहे हैं। बिजनौर शहर के चारों दोर से निकली चक्कर रोड इसकी बानगी है। दूसरी ओर कई भवन, शापिंग कांप्लेक्स आदि के निर्माण, मरम्मत कार्य बिना नक्शा पास कराये होते रहते हैं। इस संबंध में संबंधित जे ई विपिन कुमार गुप्ता ने कहा कि आईएएस अधिकारी ने अपने साथियों को बचाते हुए केवल मुझे दोषी ठहराया है इस संबंध में विभागीय अधिकारियों को अपना जबाव दे दिया था।
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