फतेहपुर, शमशाद खान । प्रदेश की तत्कालीन सपा सरकार के कार्यकाल के दौरान वर्ष 2013 में पुलिस आरक्षी भर्ती प्रक्रिया में चयनित हुए अभ्यर्थियों में 11786 अभ्यर्थियों का मेडिकल होने के बावजूद नियुक्ति न मिल पाने से आहत अभ्यर्थियों ने सोमवार को कलेक्ट्रेट पहुंचकर जिलाधिकारी को एक ज्ञापन सौंपा। जिसमें अभ्यर्थियों ने तत्काल नियुक्ति किये जाने या इच्छामृत्यु की अनुमति दिये जाने की मांग की है।
जिलाधिकारी को दिये गये ज्ञापन में पुलिस आरक्षी भर्ती के अभ्यर्थियों ने बताया कि वह सभी भर्ती 2013 से सम्बन्धित हैं। सभी अभ्यर्थियों को 2013 से वर्तमान 2019 तक अत्यधिक शारीरिक, मानसिक एवं आर्थिक रूप से शोषित व परेशान किया जा चुका है। बताया कि उनका आत्मविश्वास लगभग समाप्त हो चुका है। अभ्यर्थियों के अंदर अब सिर्फ निराशा ही रह गयी है। अभ्यर्थियों ने बताया कि सपा सरकार के कार्यकाल के दौरान वर्ष 2013 में पुलिस आरक्षी के 41610 पदों के लिए आवेदन मांगा गया था। इन पदों पर लगभग 22 लाख अभ्यर्थियों को प्रारंभिक परीक्षा के लिए बुलाया गया था। परीक्षा के सभी चरणों में प्रारंभिक लिखित परीक्षा, शारीरिक दक्षता परीक्षा, मुख्य लिखित परीक्षा सफल अभ्यर्थियों में से 55 हजार अभ्यर्थियों को चिकित्सा परीक्षा के लिए बुलाया गया था और सभी का परीक्षण पूर्ण कराने के उपरान्त 16 जुलाई 2015 को 38315 अभ्यर्थियों को अन्तिम रूप से चयन करके ट्रेनिंग पर भेजा गया था और शेष रिक्त पदों को अग्रसारित कर दिया गया था। बताया कि अग्रसारित किये गये पदों को लेकर कुछ अभ्यर्थियों ने उच्च न्यायालय की शरण ली थी। उच्च न्यायालय द्वारा रिट संख्या 3417 उपेन्द्र तोमर व अन्य बनाम यूपी स्टेट की सम्पूर्ण सुनवाई के उपरान्त चार मई 2018 को प्रदेश सरकार को आदेशित किया गया था कि इन अभ्यर्थियों को जल्द से जल्द रिक्त पदों में नियुक्ति प्रदान की जाये। यह भी बताया कि इस भर्ती प्रक्रिया के अन्तिम चयन में पुलिस भर्ती बोर्ड द्वारा आरक्षण में भी त्रुटियां की गयी थीं। इन त्रुटियों को लेकर भी कुछ अभ्यर्थियों ने उच्च न्यायालय की शरण ली थी। इस सम्बन्ध में रिट संख्या 3285 के अन्तर्गत मनोज कुमार व अन्य बनाम यूपी स्टेट पर उच्च न्यायालय ने 5 सितम्बर 2017 को यह आदेश जारी किया कि आरक्षण से सम्बन्धित त्रुटियों को सुधारते हुए अभ्यर्थियों को चयनित किया जाये। इन दोनों आदेशों के अनुपालन में पुलिस बोर्ड द्वारा 13 अगस्त 218 को एक विज्ञप्ति के माध्यम से नये 8678 अभ्यर्थियों को चिकित्सा परीक्षा के लिए बुलाया गया जबकि पूर्व में 6786 अभ्यर्थी चिकित्सा परीक्षा पास कर चुके थे। इन नये 8678 अभ्यर्थियों की चिकित्सा सितम्बर 2018 तक पूर्ण करा ली गयी। सितम्बर 2018 से अप्रैल 2019 तक इन नये व पूर्व से उपलब्ध चिकित्सा परीक्षा में सफल सभी अभ्यर्थियों को नियुक्ति प्रदान नहीं की गयी। सभी अभ्यर्थी अपनी नियुक्ति के लिए निवेदन हेतु सैकड़ों बार पुलिस बोर्ड, मुख्यमंत्री, गृह सचिव के अलावा अनेक मंत्रियों के चक्कर काट चुके हैं। वहां से झूठे आश्वासन और पुलिस बल प्रयोग के सिवाय कुछ हासिल नहीं हुआ। सैकड़ों अभ्यर्थियों पर लाठियां मारकर बुरी तरह घायल किया गया। इस दौरान बोर्ड के चेयरमैन जीपी शर्मा सेवानिवृत्त हो गये। इसके बाद जब अभ्यर्थी पुलिस भर्ती बोर्ड गये तो नये चेयरमैन राजकुमार विश्वकर्मा द्वारा अभ्यर्थियों से कहा गया कि आपका चिकित्सा परीक्षण नहीं कराया गया है यह चिकित्सा परीक्षण पुराने चेयरमैन द्वारा कराया गया था। सभी अभ्यर्थी अपनी नियुक्ति उन्हीं से प्राप्त करें। सभी अभ्यर्थियों का कहना रहा कि उनका शारीरिक एवं मानसिक शोषण किया गया। ऐसी दशा में उनका मनोबल गिर गया है उन्हें या तो नियुक्ति प्रदान की जाये या फिर इच्छामृत्यु की अनुमति दी जाये। इस मौके पर विनीता, कमल पटेल, यशपाल सिंह, पवन कुमार मौर्य, प्रमोद कुमार, भीम सिंह, स्वतंत्र कुमार, गुलाब यादव, राहुल कुमार आदि मौजूद रहे।
Yogi ji, niyukti dedo nhi to 2022 m aapki naukri khatm ho jaegi
जवाब देंहटाएं