देवेश प्रताप सिंह राठौर
(वरिष्ठ पत्रकार)
बुंदेलखंड राज्य की मांग बहुत पहले से की जा रही है, परंतु बुंदेलखंड का इतिहास आप देखिए तो यहां इंसानों की विश्वसनीयता का भरोसा करना संभव नहीं है विश्वास रानी ने किया तो उसे वीरांगना की तरह लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए। अगर यहां का पिक्चर विश्वसनीयता एक होता गद्दारी ना करता तो यहां पर रानी की विजय होती और रानी ने अकेले दम पर सब गद्दारों से लड़ते हुए विजय भाई और वीरगति को प्राप्त। हमने बुंदेलखंड
का बहुत जगह का जनसंपर्क किया उसके बाद बहुत से लोग हमको मिले जिन्होंने बताया हम इटावा के हैं कोई कहीं का है कोई कहीं का जब मैंने पूछा यहां क्या खास है तो उन्होंने कहा यहां गद्दारी खास है। जब यहां पर किसी व्यक्ति का काम होगा तो है आपका इतना बड़ा ही हीतैसी विश्वसनीयता का नाटक करेगा आप उसे समझ नहीं पाओगे और जहां पर उसका काम निकला फिर वह असली रूप में आएगा यहां के बाहरी बसे लोगो ने बताया है। वैसे ही यह सच्चाई है क्योंकि यहां रानी लक्ष्मीबाई भी कानपुर की थी बिठूर की उनकी शादी ज झांसी में हुई थी । बहुत से झांसी बुंदेलखंड में कहावतें कही जाती हैं वह कहावतो के आधार पर देखा जाए तो कहीं ना कहीं और कहावतें सत्य हो रही है मैं आपको यह घटना बताना चाहता हूं एक व्यक्ति है वह कोई भी हो सकता है वह व्यक्ति अपने कार्य हेतु स्वार्थ वश किसी माध्यम से मेरे पास आता है और मैंने उसकी मदद की और जब तक मैं मदद करता रहा बहुत अच्छा रहा जब मैंने उसकी स्थित को भापा और बहुत से लोगों से पता चला कि वह व्यक्ति कितना गंदा है मुझे उस वक्त से नफ़रत हो गई पर मैंने कभी उसको एहसास नहीं होने दिया। पर एक दिन उसने अपनी घीनौनी हरकत करके उसने एहसास करा दिया कि जो लोग कहते हैं बुंदेलखंड के बारे में विश्वसनीयता नहीं है यहां के व्यक्तियों पर बात का बजन नहीं है यह सिद्ध हुआ। वहीं हमारी रानी लक्ष्मीबाई पर हुआ वह जहां जहां सहायता मांगने हैं रानी लक्ष्मी बाई अंग्रेजों को पछाड़ती हुए गई, पर कालपी से लेकर ग्वालियर सिंधिया परिवार सिर्फ धोखा ही दिया जिसके कारण रानी लक्ष्मीबाई अंग्रेजों के सामने हार नहीं मानी और लड़ते-लड़ते वीरगति को प्राप्त हुए थी।
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