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बुधवार, 12 जुलाई 2017

जलस्तर बढ़ने से कटान की रफ्तार तेज, दहशत मे गांव वाले

फतेहपुर, शमशाद खान । पांडु और गंगा नदी का जलस्तर बढ़ने से हो रही कटान थमती नहीं दिख रही है। तेजी से हो रही कटान के कारण करीब दस फिर नदी आगे बढ़ गकई है। बढ़ते जल स्तर ने बिंदकी फारम पर संकट के बादल मंडराने लगा है। कालीकुंडों समेत तीन गांवों के लोग तीन तरफ से पानी से घिरे हुए है। राजस्व असफरों ने मौके पर पहुंच कर हालात का जायजा लिया। कटान से हजारों बीघे भूमि कटने के बाद बीती रात बिंदकी फारम गांव की तरफ लगभग दस फीट भूमि और कटान की चपेट में आ गई है। जिससे बिंदकी फारम गांव भी काली कुंडी गांव पर खतरा बढ़ गया है। इन गांवों से बाहर निकलने के लिए पश्रिम उत्तर व दक्षिण तीनों तरफ से रास्ते थे जिससे ग्रामीणों को आसानी से मुख्य मार्ग तक पहुंचा जा सकता था। लेकिन पांडु नदी पहले सीधे रास्ते गंगा में मिल जाती थी लेकिन इस बार बढ़े जलस्तर से प्रवाह इतना तेज था कि उसने पश्रिम और दक्षिण दोनों दिशाओं को घूमकर घेर लिया और उत्तर दिशा से बह रही गंगा में मिल गई। जिससे बिंदकी फारम गांव के लोग तीन तरफ से पानी में घिरे हुए है। ग्रामीणों के पास मात्र पूरब दिशा की ओर जाने वाले एक कच्चा गलियारा ही निकलने के लिए शेष बचा है। इस रास्ते में भी एक नाला पड़ता है। जिसमें कमर से अधिक पानी होने के कारण निकला मुश्किल हो रहा है। साथ ही इस रास्ते में मुख्य मार्ग रानीपुर पहुंचने के लिए गा्रमीणों को नौ किलोमीटर पैदल चलना पड़ता हैं गांव के योगेन्द्र पैदल चलना पड़ता है। गांव के योगेन्द्र पाल बताते है कि कटान अधिक होने के मुख्य दो कारण है। पहला यह है कि पांडु नदी से तेज बहाव होने कारण पानी मोड़ न लेकर सीधे बिंदकी फारम गांव की मिटटी पर ठोकर मारता है। और दूसरा यह है कि जितनी रफ्तार से पांडु नदी का पानी आ रहा है अगर गंगा का प्रवाह भी बराबर रफ्तार में हो जाए तो दोनों का प्रवाह एक दूसरे को ठोकर मारे तो कटान की रफ्तार कम हो सकती है। पर पांडु नदी का प्रवाह तेज होने के कारण कटान बढ़ती जा रही है। एसडीएम बिंदकी सत्य प्रकाश सिंह ने बताया कि कटान लगातार हो रही है। प्रशासन भी पूरी तरह चैकन्ना है। कटान की यही हालत रही तो काली कुंडी की तरह बिंदकी फारम में खतरा बढ़ सकता है। हालांकि बिंदकी फारम के परिवारों को एक सुरक्षित स्थान पर बसाने के लिए एक नायब तहसीलदार, कानूनगो व दो लेखपालों को लगा दिया गया है। जिनको जिम्मेदारी दी गई है कि सुरक्षित स्थान की तलाश करें और कटान की चपेट में आए किसानों को भी चिन्हित करें। 

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