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शनिवार, 27 जुलाई 2019

आकर्षक स्कीमों का लालच देकर लोगों को ठग रही चिटफंड कम्पनियां

जिले के कई स्थानों में चल रही कम्पनियों पर नहीं हो रही कार्रवाई 
हफ्ते भर पहले छह करोड़ लेकर फरार होने का मामला रहा सुर्खियों में 

फतेहपुर, शमशाद खान । जिले में धन दोगुना करने व नाना प्रकार की आकर्षक स्कीमों का लालच देकर तमाम चिटफंड कम्पनियां अब तक करोड़ों रूपये का चूना लगाकर कार्यालयों में ताला डालकर फरार हो चुकी हैं। जबकि अभी भी मुख्यालय सहित विभिन्न आंचलों में ऐसी कम्पनियां धड़ल्ले से संचालित हो रही हैं। लेकिन प्रशासन व पुलिस इनकी ओर से मुंह मोड़े हुए है। लालच में धोखाधड़ी का शिकार होने वाले जमाकर्ता व अभिकर्ता कार्रवाई के लिए दर-दर भटकते दिखाई दे रहे हैं। 
बताते चलें कि जिले में एक दशक के भीतर धन दोगुना करने व लुभावनी स्कीमों के जरिये तमाम चिटफंड जैसी कम्पनियों ने अपने पांव पसारे। बाहर से आने वाली ऐसी कम्पनियां स्थानीय स्तर पर अभिकर्ताओं की फौज तैयार कर लोगों का धन जमा करा लेती हैं। इस तरह की कम्पनियां बमुश्किल छह महीना अथवा साल भर के अंदर करोड़ों रूपये जमा कर लेने के बाद दफ्तरो में रातों रात ताला डालकर फरार हो जाती हैं। जिसमें में इस तरह की एक नहीं दर्जनों घटनाएं अब तक हो चुकी हैं। तीन वर्ष पूर्व सुल्तानपुर घोष थाना क्षेत्र के खजुरियापुर गांव में राजेश मौर्या नामक व्यक्ति ने समाजसेवा की चादर ओढ़कर क्षेत्र सहित आस-पास के हजारों लोगों का करोड़ों रूपये जमा करा लिया और कुछ दिनो बाद वह ऐसा गायब हुआ, जिसका अब तक कोई अता-पता नहीं है। पीड़ितों ने सुल्तानपुर घोष थाने पर अनेक मुकदमें भी लिखाये लेकिन पुलिस उसे अब तक पकड़ नहीं है। सूत्रों का कहना है कि यह ठग इन दिनों साधूवेश में अपना जीवन-यापन कर रहा है। इतना ही नहीं शहर में अनेक कम्पनियों ने जनपद के भोले-भाले लोगों को अपने जाल में फंसाकर करोड़ों के वारे-न्यारे कर दिये हैं। अभी पांच दिन पहले जिला कारागार के पीछे मनोहरनगर स्थित एक चिटफंड कम्पनी के भाग जाने का मामला सामने आया है। जिसमें भुक्तभोगी अभिकर्ता व जमाकर्ताओं ने बताया कि यह कम्पनी 43 लोगों का लगभग छह करोड़ रूपये लेकर फरार हो चुकी है। मनोहरनगर व कानपुर के माल रोड स्थित हेड आफिस में भी ताला बंद है। भुक्तभोगी कम्पनी के अधिकारियों सहित ग्यारह लोगों के खिलाफ मुकदमा लिखाने के लिए कोतवाली के चक्कर काट रहे हैं। लेकिन अब तक उनके मुकदमें नहीं लिखे गये हैं। इस सब के बावजूद अभी भी जिला मुख्यालय सहित जिले के कई आंचलों में ऐसी कम्पनियां संचालित हो रही हैं। इन कार्यालयों में रूपया जमा करने वालों की भीड़ इस तरह लगती है मानो राशन की दुकान से अनाज उठाने के लिए आये हों। इन परिस्थितियों को देखते हुए जिला प्रशासन व पुलिस पर उंगलियां उठती हैं कि इस तरह की संचालित कम्पनियों की ओर निगाहें क्यों नहीं डालतीं। लोगों का कहना है कि इस तरह की कम्पनियों के प्रति प्रशासन को कठोर रूख अपनाना चाहिए। इन कम्पनियों के कागजात की जांच-पड़ताल के साथ-साथ यह भी देखना चाहिए कि आखिर यह कम्पनियां किन बड़ी कम्पनियों से सम्बद्ध हैं। यदि प्रशासन समय रहते नहीं जागा तो अभी भी जिले के तमाम लोग ऐसी कम्पनियों की ठगी का शिकार हो सकते हैं। 

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